ई-पुस्तकें >> यादें (काव्य-संग्रह) यादें (काव्य-संग्रह)नवलपाल प्रभाकर
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बचपन की यादें आती हैं चली जाती हैं पर इस कोरे दिल पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं।
बचपन की यादें
आती हैं चली जाती हैं
पर इस कोरे दिल पर
अमिट छाप छोड़ जाती हैं।
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कागज की कश्तियां
पानी पर तैराना,
याद आता है हमें
गुजरा हुआ जमाना।
काव्य-क्रम
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