ई-पुस्तकें >> यादें (काव्य-संग्रह) यादें (काव्य-संग्रह)नवलपाल प्रभाकर
|
7 पाठकों को प्रिय 31 पाठक हैं |
बचपन की यादें आती हैं चली जाती हैं पर इस कोरे दिल पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं।
पीले फूल
सरसों पर फूले
फूल पीले।
फूलों में सुगन्ध
मिट्टी के मृदंग
बजते रहते
हर घर आँगन में।
सरसों पर फूले
फूल पीले।
आँखों में ज्योति
फूलों में बसती
नयन नक्श
प्रकृति से मिलते।
सरसों पर फूले
फूल पीले।
0 0 0
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book