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यादें (काव्य-संग्रह)

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9607
आईएसबीएन :9781613015933

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बचपन की यादें आती हैं चली जाती हैं पर इस कोरे दिल पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं।


घर की याद


मुझे न जाने क्या हो गया
जब घर याद आया।
मेरे कदम थिरकने लगे
होठों ने गीत गया।
जब घर याद आया।
घर जाने की तैयारी मैंने
कर ली थी एक सप्ताह पहले
मगर कोई बहाना नहीं बनाया।
जब घर याद आया।

आज घर जाने को
मिला एक प्यारा बहाना
उसी बहाने ने घर पहुंचाया।
जब घर याद आया।
मुझे लगाव है मेरे घर से
प्रेम मिलता है वहां से
प्रेम पाने घर का शहर से आया।
जब घर याद आया।

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