ई-पुस्तकें >> यादें (काव्य-संग्रह) यादें (काव्य-संग्रह)नवलपाल प्रभाकर
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बचपन की यादें आती हैं चली जाती हैं पर इस कोरे दिल पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं।
पक्षियों का संसार
घूम कर देखो एक बार,
पक्षियों का विचित्र संसार।
काले, श्वेत, लाल, पीले,
गहरे हरे, गहरे नीले,
समस्त रंग विधाता ने
इनमें भर दिये देखो यार।
पक्षियों का विचित्र संसार।
बुलबुल, हंस, कौवा, तोता,
गुरशल, मोर, बतख, गोरैया
मिलकर रहते एक जगह सब
करते रहते हमेशा प्यार।
पक्षियों का विचित्र संसार।
वाणी सबकी अलग-अलग है
वर्ण में भी सबके है भेद
जब ये बोलें मीठी बाणी
कानों को मिले आराम।
पक्षियों का विचित्र संसार।
पेड़ों पर हैं रात को
करते वहीं सभी आराम
दिन निकले जब सुबह हो
चल देते ये अपने काम
पक्षियों का विचित्र संसार।
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