ई-पुस्तकें >> यादें (काव्य-संग्रह) यादें (काव्य-संग्रह)नवलपाल प्रभाकर
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बचपन की यादें आती हैं चली जाती हैं पर इस कोरे दिल पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं।
प्रकृति
प्रकृति ने देखो हमें
दिया है अनोखा उपहार,
हर जगह हरियाली है
प्रकृति से मुझे है प्यार।
जाने कितने अमूल्य रत्न
समेटे है अपने अन्दर
इसकी अनोखी औषधियां
कर देती हैं जीवन अमर
सोचता हूँ, मैं रहूँ हमेशा
घर से परे, गाँव से बाहर।
हर जगह हरियाली है
प्रकृति से मुझे है प्यार।
इसकी शीतल वायु से
होती है ठंडक मन में
जाऊं किसी बगीचे में
या जाऊं किसी उपवन में
जहां अकेला मैं रहूँ ,
और हो प्रकृति का दुलार
हर जगह हरियाली है
प्रकृति से मुझे है प्यार।
गहरी नदी और गहरे नाले
इस धरती पर जीव निराले
देख कर इनकी विचित्र बातें
हम हो जाते हैं मतवाले
ऊंचे प्यारे पहाड़ों को देखें
मन लुभा लेते हैं यार।
हर जगह हरियाली है
प्रकृति से मुझे है प्यार।
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