लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> यादें (काव्य-संग्रह)

यादें (काव्य-संग्रह)

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9607
आईएसबीएन :9781613015933

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

31 पाठक हैं

बचपन की यादें आती हैं चली जाती हैं पर इस कोरे दिल पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं।


मेरे आँगन में


चाँद की चाँदनी आज
उतरी है मेरे आँगन में
मन मेरा झूम उठा है
पाँव मेरे थिरकने लगे।

कंपित रोएं-रोएं में
सितार जैसे बजने लगा
सातों सुर समेट लाई
पूर्व से आने वाली हवा

फूलों संग इठलाती गाती
आई है इस महीने में।
मन मेरा झूम उठा है
पाँव मेरे थिरकने लगे।

चुनरी आसमान सिर ओढ़े
सुन्दर प्यारे सितारे जडक़र
लेकर ठंडी सुघड़ शीतलता
और सुगन्ध अन्दर अपने भर

चँचल अस्थिर बहकी सी
सुवाशित लगी साँसों को करने
मन मेरा झूम उठा है
पाँव मेरे थिरकने लगे।

0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book