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आंख की किरकिरी

रबीन्द्रनाथ टैगोर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :55
मुखपृष्ठ : ebook
पुस्तक क्रमांक : 3984
आईएसबीएन :9781613015643

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नोबेल पुरस्कार प्राप्त रचनाकार की कलम का कमाल-एक अनूठी रचना.....

आँख की किरकिरी रवीन्द्रनाथ टैगोर के बंगला उपन्यास ‘चोखेर बालि’ का हिन्दी अनुवाद है। कई कारणों से इस उपन्यास की गिनती गुरुदेव की सर्वोत्कृष्ट रचनाओं में होती है। इसका प्रथम प्रकाशन 1902 ई. में हुआ था। इस प्रकार यह उपन्यास सच्चे अर्थों में भारत का पहला आधुनिक उपन्यास है।

यद्यपि रवीन्द्रनाथ ने ऐसे अनेक उपन्यास लिखे हैं जो ‘चोखेर बालि’ से अधिक विख्यात हैं, परन्तु कथाकार का जो रूप हमें इसमें मिलता है वह अन्यत्र नहीं। अन्य किसी उपन्यास में उन्होंने मानव-जीवन के चित्रण में ऐसे मृदुल और नीरव व्यंग्य का समावेश नहीं किया है। प्रणय और यौन-वासना का अविच्छिन्न सम्बन्ध को उन्होंने किसी उपन्यास में ऐसी प्रकट सहानुभूति नहीं दी है। इस उपन्यास में ही उन्होंने वासना के पंक में प्रस्फुटित होने वाले प्रेम के निर्मल शतदल की झाँकी दिखाई है। गुरुदेव द्वारा निर्मित नारी चरित्रों में विनोदिनी सबसे अधिक यथार्थ, सबसे अधिक विश्वसनीय और सबसे अधिक जीवन्त है।

अनुक्रम


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