उपन्यास >> आंख की किरकिरी आंख की किरकिरीरबीन्द्रनाथ टैगोर
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नोबेल पुरस्कार प्राप्त रचनाकार की कलम का कमाल-एक अनूठी रचना.....
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राजलक्ष्मी मैके पहुँचीं। तय था कि उन्हें छोड़ कर बिहारी आ जाएगा लेकिन वहाँ की हालत देख कर वह ठहर गया।
राजलक्ष्मी के मैके में महज दो-एक बूढ़ी विधवाएँ थीं। चारों तरफ घना जंगल और बाँस की झाड़ियाँ; पोखर का हरा-भरा पानी; दिन-दोपहर में सियार की 'हुआँ-हुआँ' से राजलक्ष्मी की रूह तड़प उठती।
बिहारी ने कहा - 'माँ, जन्म-भूमि यह जरूर है, मगर इसे 'स्वर्गादपि गरीयसी' तो हरगिज नहीं कहा जा सकता। तुम्हें यहाँ अकेली छोड़ कर लौट जाऊँ तो मुझे पाप लगेगा।'
राजलक्ष्मी के प्राण भी काँप उठे। ऐसे में विनोदिनी भी आ गई। विनोदिनी के बारे में पहले ही कहा जा चुका है। महेंद्र से, और कभी बिहारी से उसके विवाह की बात चली थी। विधना की लिखी भाग्य-लिपि से जिस आदमी से उसका विवाह हुआ वह जल्दी ही चल बसा।
उसके बाद से विनोदिनी घने जंगल में अकेली लता-सी, इस गाँव में घुट कर जी रही थी। वही अनाथ, राजलक्ष्मी के पास आई, उन्हें प्रणाम किया और उनकी सेवा-जतन में जुट गई। सेवा तो सेवा है, घड़ी को आलस नहीं। काम की कैसी सफाई, कितनी अच्छी रसोई, कैसी मीठी बातचीत! राजलक्ष्मी कहतीं- 'काफी देर हो चुकी बिटिया, तुम भी थोड़ा-सा खा लो जा कर!'
वैसे राजलक्ष्मी उसकी फुफिया सास थीं।
अपने प्रति बड़ी लापरवाही दिखाती हुई विनोदिनी कहती- 'हमारे दु:ख सहे शरीर में नाराजगी की गुंजाइश नहीं। अहा, कितने दिनों के बाद तो अपनी जन्म-भूमि आई हो! यहाँ है भी क्या? काहे से तुम्हारा आदर करूँ!'
बिहारी तो दो ही दिनों में मुहल्ले-भर का बुजुर्ग बन बैठा। कोई दवा-दारू, तो कोई मुकदमे के राय-मशविरे के लिए आता; कोई उसकी इसलिए खुशामद करता कि किसी बड़े दफ्तर में उसके बेटे को नौकरी दिला दे; कोई उससे अपनी दरखास्त लिखवाता। बूढ़ों की बैठक और कुली-मजूरों के ताड़ी के अड्डे तक वह समान रूप से जाता-आता। सभी उसका सम्मान करते।
गँवई-गाँव में आए कलकत्ता के उस नवयुवक के निर्वासन-दंड को भी विनोदिनी अंत:पुर की ओट से हल्का करने की भरसक कोशिश किया करती। मुहल्ले का चक्कर काट कर जब भी वह आता तो पाता कि किसी ने उसके कमरे को बड़े जतन से सहेज-सँवार दिया है; काँसे के एक गिलास में कुछ फूलों-पत्तों का गुच्छा सजा रखा है और सिरहाने के एक तरफ पढ़ने योग्य कुछ किताबें रख दी हैं। किताबों में किसी महिला के हाथ से बड़ी कंजूसी के साथ छोटे अक्षरों में नाम लिखा है।
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