आचार्य श्रीराम किंकर जी >> चमत्कार को नमस्कार चमत्कार को नमस्कारसुरेश सोमपुरा
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यह रोमांच-कथा केवल रोमांच-कथा नहीं। यह तो एक ऐसी कथा है कि जैसी कथा कोई और है ही नहीं। सम्पूर्ण भारतीय साहित्य में नहीं। यह विचित्र कथा केवल विचित्र कथा नहीं। यह सत्य कथा केवल सत्य कथा नहीं।
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यह रोमांच-कथा केवल रोमांच-कथा नहीं। यह तो एक ऐसी कथा है कि जैसी कथा कोई और है ही नहीं। सम्पूर्ण भारतीय साहित्य में नहीं। यह विचित्र कथा केवल विचित्र कथा नहीं। यह सत्य कथा केवल सत्य कथा नहीं।
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किसी भी चमत्कार को चुनौती देना आसान नहीं, आज के युग में प्रत्येक चमत्कारी अपनी दुकान सजाये बैठे हैं, क्या वह वास्तव में आध्यात्मिक शक्ति से युक्त हैं।
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क्या वह व्यक्ति सचमुच चमत्कार करते थे। क्या वह वास्तव में आध्यात्मिक शक्ति से युक्त थे। क्या वह वास्तव में तन्त्र-मन्त्र के जानकार थे।
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यह सत्य कथा बताती है कि इन्सान अपनी जिन्दगी को जीये कैसे? क्या आत्मा और परमात्मा से डरकर? भूत प्रेत और धर्म-अधर्म से सिटपिटाकर? या एक नेक इन्सान के रूप में दबंग होकर? निश्चित जानिए यह सत्य कथा अन्त में आपको जीवन जीने के लिए एक नई दिशा देगी।
चमत्कार को नमस्कार
अनुक्रम
- चमत्कार को नमस्कार
- कल्याण कैम्प की महायोगिनी
- महायोगिनी की माधुरी
- कातर किशोर
- सुनन्दा भाभी की करुण कथा
- समर्थ को नहीं दोष गुसाईं
- मैं चल पड़ा
- परिचित चेहरे का रहस्य
- आमने-सामने
- वह अतीन्द्रिय अनुभव...
- अभिलाषा की आहुति
- धूर्त शिष्य और अशान्त गुरु
- मन्त्र मिल गया
- फिर वही नौजवान
- मोहमाया के धागे
- शव-साधना से पहले
- कर्ण-पिशाचिनी साक्षात् खड़ी
- गुरुदेव घायल
- वह जगमग ज्योति-पुंज...
- विकट प्रश्न
- मिथ्या कल्पनाओं का महल
- बेचारे वे दोनों...
- वापसी के बाद
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