लोगों की राय

आचार्य श्रीराम किंकर जी >> चमत्कार को नमस्कार

चमत्कार को नमस्कार

सुरेश सोमपुरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :230
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9685
आईएसबीएन :9781613014318

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

149 पाठक हैं

यह रोमांच-कथा केवल रोमांच-कथा नहीं। यह तो एक ऐसी कथा है कि जैसी कथा कोई और है ही नहीं। सम्पूर्ण भारतीय साहित्य में नहीं। यह विचित्र कथा केवल विचित्र कथा नहीं। यह सत्य कथा केवल सत्य कथा नहीं।

सात

परिचित चेहरे का रहस्य

 9685_07

महायोगिनी अम्बिकादेंवी की आँखों में ऐसी निर्दोषिता थी कि उनके किसी भी शब्द पर अविश्वास नहीं किया जा सकता था। जो आशंका घुमड़ उठी थी, वह तो स्वयं मेरे अन्दर थी। जिन योग्यताओं का बखान दीदी ने किया है, क्या वे सब मुझ में हैं?

मैं पूछे बिना न रह सका, 'किन्तु ये सारी योग्यताएँ और शक्तियाँ मुझमें हैं, यह बात...... आपके गुरुदेव स्वीकार कर लेंगे? उन्हें पता कैसे चलेगा?'

'उसी तरह, जिस तरह मुझे पता चल गया है।' और वह हँसने लगीं।

'दीदी! मैं बड़ी गम्भीरता से पूछ रहा हूँ और आप........।''

'मैं भी गम्भीरता से ही कह रही हूँ।'

'सचमुच?'  

'मुझे विश्वास है कि गुरुदेव जैसे व्यक्ति की खोज में हैं, ठीक वैसे ही आप हैं।'

सुनकर मुझे एक बार फिर तीव्र अकुलाहट ने घेर लिया। ये अलौकिक बातें क्या मुझे बहलाने और बहकावे के लिए नहीं की जा रही हैं? क्या सचमुच ऐसा हो सकता है कि दीदी के गुरुदेव मुझे अपनी अलौकिक विद्याओं का पूरा उत्तराधिकार दे दें? कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं किसी घोर अन्धकारमय भविष्य की तरफ धकेला जा रहा हूँ?

'शाश्वत क्या है? अन्धकार या प्रकाश?' दीदी के इस प्रश्न ने मुझे चौंका दिया।

''प्रकाश!'' मैंने कहा।

''गलत!' वह बोलीं, 'शाश्वत तो अन्धकार ही है। प्रकाश केवल भ्रम है, केवल एक चौंध।'

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai