नई पुस्तकें >> गीले पंख गीले पंखरामानन्द दोषी
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श्री रामानन्द 'दोषी' के काव्य-संग्रह ‘गीले पंख' में 33 कविताएं हैं…
Geeley Pankh : poetry by Ramanand Doshi
गीले पंख
- गीले पंख
- समर्पण
- प्रकाशकीय
- अपनी बात
- फूल, गंध और आदमी
- वहाँ तुम हो, यहाँ मैं हूँ
- ऐसी तो कोई बात न थी
- तुम अपनी पीर सम्हालो !
- लेकिन पहले...
- शायद
- चाँदनी के सिहरते हुए श्वास में
- तुम मुझे मिलीं
- बीच में हमारे
- तुम्हारी पाती
- झाँको न मेरी आँख में तुम
- एक बटन
- बन्दी-जीवन की आखिरी शाम
- अविवाहित माँ
- आदमी और क्षितिज
- वह भी सच था, यह भी सच है !
- प्यासा जीवन
- फूल और धूल
- कहाँ अन्त है ?
- दान और प्रतिदान
- सुबह की बाँग
- दृष्ट, दृष्टि और कोण
- जाने क्यों ?
- ऐसा दीप जलाओ !
- कभी
- कौन जाने !
- कौन खड़ी शरमाई हो तुम ?
- याद फिर कसकी
- आग जलती रहे
- इस पार भी, उस पार भी
- तथागत से
- संझा बेला
- गीले पंख
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