जीवनी/आत्मकथा >> अरस्तू अरस्तूसुधीर निगम
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सरल शब्दों में महान दार्शनिक की संक्षिप्त जीवनी- मात्र 12 हजार शब्दों में…
हर स्वस्थ समाज को सदैव एक ऐसे सुधारक की आवश्यकता रहती है जो यह बता सके, स्मरण करा सके कि मनुष्य केवल उदरपूर्ति के लिए नहीं जीता। यूनान कई शताब्दियों से ऐसे सुधारकों, विचारकों, दार्शनिकों की उर्वर भूमि रहा है जिनके अलौकिक प्रभा मंडल के नीचे गुणवत्ता और उत्कृष्टता अपनाकर समाज उत्तरदायित्वपूर्ण बनने की प्रक्रिया में आगे बढ़ा। इसी श्रृंखला में एक नाम है...
- अरस्तू
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- जन्म और बाल-वृत्त
- गुरु गृह पढ़न गए ...
- नए नीड़ की तलाश
- शिक्षण का संसार : मकदूनिया फिर एक बार
- नए संधान : स्कूल प्रस्थापन, अध्यापन और अनुसंधान
- दार्शनिकों की जमात : अरस्तू, प्लेटो, सुकरात
- क्या ईश्वरीय सत्ता है ?
- अरस्तू का रचना संसार : लुप्त, विलुप्त, पुनरुद्धार
- अवसान : अरस्तू और सिकंदर
- सहृदय यथार्थवादी
- पुनश्च
- हाय ! पुच्छल तारा !!
- हम नहीं जानते !
- आत्मा और उसकी दशाएं
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अरस्तू
अरस्तू यूनानी दार्शनिक तथा बहुशास्त्र, प्लेटो का शिष्य और सिकंदर महान का गुरु था। इस महान चिंतक ने बौद्धिक क्रियाकलापों के प्रत्येक विभाग को अपने अध्ययन-मनन-लेखन का कार्यक्षेत्र बना लिया था। उनकी विषय सूची प्रभावशाली और लम्बी थी-भौतिकी, आधिभौतिकी, वनस्पति विज्ञान, प्राणी विज्ञान, साहित्य शास्त्र, भाषा शास्त्र, तर्कशास्त्र, धर्म-शास्त्र, संगीत, वाग्मिता, राजनीति, प्रशासन आदि।
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