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			 आचार्य श्रीराम शर्मा >> हारिए न हिम्मत हारिए न हिम्मतश्रीराम शर्मा आचार्य
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प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने लोगों को जीवन की कठिन परिस्थितियों में किस प्रकार के आचार-विचार की आवश्यकता है, इसे एक माह की डायरी के रूप में बताया है।
काश यह साहित्य मुझे पहले मिला होता तो मैं राजनीति में न जाकर आचार्यश्री के चरणों में बैठकर अध्यात्म शिक्षा ले रहा होता।
 
भूतपूर्व राष्ट्रपति भारत
 मैं आचार्य श्रीराम शर्मा जी को प्रखर प्रतिभा, दृढ़ इच्छाशक्ति और प्रचंड आत्मविश्वास संपन्न विशिष्ट अध्यात्मवादी चिंतक मानता हूँ। भावी पीढ़ी उन्हें युगों-युगों तक कृतज्ञतापूर्वक स्मरण करेगी।
 
भूतपूर्व राष्ट्रपति भारत
प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने लोगों को जीवन की कठिन परिस्थितियों में किस प्रकार के आचार-विचार की आवश्यकता है, इसे एक माह की डायरी के रूप में बताया है। इसे पढ़ कर सभी व्यक्ति लाभान्वित होंगे।
 
 
- हारिए न हिम्मत
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- नित्य पढ़ें
 - दिनांक : 1
 - दिनांक : 2
 - दिनांक : 3
 - दिनांक : 4
 - दिनांक : 5
 - दिनांक : 6
 - दिनांक : 7
 - दिनांक : 8
 - दिनांक : 9
 - दिनांक : 10
 - दिनांक : 11
 - दिनांक : 12
 - दिनांक : 13
 - दिनांक : 14
 - दिनांक : 15
 - दिनांक : 16
 - दिनांक : 17
 - दिनांक : 18
 - दिनांक : 19
 - दिनांक : 20
 - दिनांक : 21
 - दिनांक : 22
 - दिनांक : 23
 - दिनांक : 24
 - दिनांक : 25
 - दिनांक : 26
 - दिनांक : 27
 - दिनांक : 28
 - दिनांक : 29
 - दिनांक : 30
 - दिनांक : 31
 
 
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हारिए न हिम्मत
नित्य पढ़ें
दूसरे के छिद्र देखने से पहले अपने छिद्रों को टटोलो। किसी और की बुराई करने से पहले यह देख लो कि हममें तो कोई बुराई नहीं है। यदि हो तो पहले उसे दूर करो। 
दूसरों की निंदा करने में जितना समय देते हो उतना समय अपने आत्मोत्कर्ष में लगाओ। तब स्वयं इससे सहमत होगे कि परनिंदा से बढ़ने वाले द्वेष को त्यागकर परमानंद प्राप्ति की ओर बढ़ रहे हो।
 
 संसार को जीतने की इच्छा करने वाले मनुष्यो ! पहले अपने को जीतने की चेष्टा करो। यदि तुम ऐसा कर सके तो एक दिन तुम्हारा विश्वविजेता बनने का स्वप्न पूरा होकर रहेगा। तुम अपने जितेन्द्रिय रूप से संसार के सब प्राणियों को अपने संकेत पर चला सकोगे। संसार का कोई भी जीव तुम्हारा विरोधी नहीं रहेगा।
 			
		  			
						
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