आचार्य श्रीराम शर्मा >> हारिए न हिम्मत हारिए न हिम्मतश्रीराम शर्मा आचार्य
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प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने लोगों को जीवन की कठिन परिस्थितियों में किस प्रकार के आचार-विचार की आवश्यकता है, इसे एक माह की डायरी के रूप में बताया है।
दिनांक : 28
एक साथ बहुत सारे काम निबटाने के चक्कर में मनोयोग से कोई कार्य पूरा नहीं हो पाता। आधा-अधूरा कार्य छोड़कर मन दूसरे कार्यों की ओर दौड़ने लगता है।
यहीं से श्रम, समय की बरबादी प्रारंभ होती है तथा मन में खीझ उत्पन्न होती है। विचार और कार्य सीमित एवं संतुलित कर लेने से श्रम और शक्ति का अपव्यय रुक जाता है और व्यक्ति सफलता के सोपानों पर चढ़ता चला जाता है।
कोई भी काम करते समय अपने मन को उच्च भावों से और संस्कारों से ओतप्रोत रखना ही सांसारिक जीवन में सफलता का मूल मंत्र है।
हम जहाँ रह रहे हैं उसे नहीं बदल सकते पर अपने आपको बदलकर हर स्थिति में आनंद ले सकते हैं।
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