आचार्य श्रीराम शर्मा >> हारिए न हिम्मत हारिए न हिम्मतश्रीराम शर्मा आचार्य
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प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने लोगों को जीवन की कठिन परिस्थितियों में किस प्रकार के आचार-विचार की आवश्यकता है, इसे एक माह की डायरी के रूप में बताया है।
दिनांक : 5
उठो! जागो!! रुको मत!!! जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाय।
कोई दूसरा हमारे प्रति बुराई करे या निंदा करे, उद्वेगजनक बात कहे तो उसको सहज करने और उत्तर न देने से बैर आगे नहीं बढ़ता। अपने ही मन में कह लेना चाहिये कि इसका सबसे अच्छा उत्तर है मौन। जो अपने कर्त्तव्य में जुटा रहता है और दूसरों के अवगुणों की खोज में नहीं रहता उसे आंतरिक प्रसन्नता होती है।
जीवन में उतार चढ़ाव आते रहते हैं।
हँसते रहो, मुस्कराते रहो।
ऐसा मुख किस काम का जो हँसे नहीं, मुस्कराए नहीं।
जो व्यक्ति अपनी मानसिक शक्ति स्थिर रखना चाहते हैं, उनको दूसरों की आलोचनाओं से चिढ़ना नहीं चाहिये।
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