आचार्य श्रीराम शर्मा >> हारिए न हिम्मत हारिए न हिम्मतश्रीराम शर्मा आचार्य
|
0 |
प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने लोगों को जीवन की कठिन परिस्थितियों में किस प्रकार के आचार-विचार की आवश्यकता है, इसे एक माह की डायरी के रूप में बताया है।
दिनांक : 19
सुधारवादी तत्वों की स्थिति और भी उपहासास्पद है। धर्म, अध्यात्म, समाज एवं राजनीतिक क्षेत्रों में सुधार एवं उत्थान के नारे जोर-शोर से लगाए जाते हैं। पर उन क्षेत्रों में जो हो रहा है, जो लोग कर रहे हैं, उसमें कथनी और करनी के बीच जमीन-आसमान जैसा अंतर देखा जा सकता है। ऐसी दशा में उज्ज्वल भविष्य की आशा धूमिल ही होती चली जा रही है।
क्या हम सब ऐसे ही समय की प्रतीक्षा में ऐसे ही हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहें। अपने को असहाय, असमर्थ अनुभव करते रहें और स्थिति बदलने के लिए किसी दूसरे पर आशा लगाए बैठे रहें। मानवी पुरुषार्थ कहता है ऐसा नहीं होना चाहिए।
|