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आचार्य श्रीराम शर्मा >> हारिए न हिम्मत

हारिए न हिम्मत

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9830
आईएसबीएन :9781613012710

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प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने लोगों को जीवन की कठिन परिस्थितियों में किस प्रकार के आचार-विचार की आवश्यकता है, इसे एक माह की डायरी के रूप में बताया है।


दिनांक : 18


साहस ने हमें पुकारा है। समय ने युग ने, कर्त्तव्य ने, उत्तरदायित्व ने, विवेक ने, पौरुष ने हमें पुकारा है। यह पुकार अनसुनी न की जा सकेगी। आत्मनिर्माण के लिए, नवनिर्माण के लिए हम कांटों से भरे रास्तों का स्वागत करेंगे और आगे बढेंगे। लोग क्या कहते हैं और क्या करते हैं इसकी चिंता कौन करे? अपनी आत्मा ही मार्गदर्शन के लिए पर्याप्त है। लोग अँधेरे में भटकते हैं, भटकते रहें।

हम अपने विवेक के प्रकाश का अवलंबन कर स्वत: आगे बढेंगे। कौन विरोध करता है कौन समर्थन, इसकी गणना कौन करे ? अपनी अंतरात्मा, अपना साहस अपने साथ है। सत्य के लिए, धर्म के लिए, न्याय के लिए हम एकाकी आगे बढ़ेंगे और वही करेंगे जो करना अपने जैसे सजग व्यक्तित्वों के लिए उचित और उपयुक्त है।

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