आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री पंचमुखी और एकमुखी गायत्री पंचमुखी और एकमुखीश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की पंचमुखी और एकमुखी स्वरूप का निरूपण
Gayatri Panchmukhi aur Ekmukhi - a Hindi book by Sriram Sharma Acharya
गायत्री के पंचमुखी चित्रों एवं पंचमुखी प्रतिमाओं का प्रचलन इसी प्रयोजन के लिए है कि इस महामंत्र की साधना का अवलम्बन करने वालों को यह विदित रहे कि हमें आगे चलकर क्या करना है? जप, ध्यान, स्तोत्रपाठ, पूजन, हवन यह आरम्भिक क्रिया-कृत्य हैं। इनसे शरीर की शुद्धि और मन की एकाग्रता का प्रारम्भिक प्रयोजन पूरा होता है। इससे अगली मंजिलें कड़ी हैं। उनकी पूर्ति के लिए साधक को जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और उस मार्ग पर चलने के लिए आवश्यक तत्परता, दृढ़ता एवं क्षमता का सम्पादन करना चाहिए। इतना स्मरण, यदि साधक रख सका, तो समझना चाहिए कि उसने गायत्री पंचमुखी चित्रण का प्रयोजन ठीक तरह से समझ लिया।
गायत्री पंचमुखी और एकमुखी
अनुक्रम
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