आचार्य श्रीराम किंकर जी >> दिव्य संदेश दिव्य संदेशहनुमानप्रसाद पोद्दार
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सरल भाषा में शिवपुराण
जीवन में उतारने की सोलह बातें
रक्षा करो पराधिकार की, करो त्याग अपना अधिकार।
यथासाध्य पर-आशाओंको पूरा करो सहित सत्कार।।
ऐसा करके कभी किसी पर करो नहीं कुछ भी अहसान।
कभी न कुछ भी बदला चाहो, त्याग करो मनसे अभिमान।।
दूसरे के अधिकार की रक्षा करो, अपने अधिकार का त्याग कर दो। जहाँतक हो सके, दूसरे की आशाओं को सत्कारके साथ पूर्ण करो। ऐसा करके न तो कभी किसी पर कुछ भी अहसान करो और न कभी कुछ भी बदला चाहो। मन से अभिमान का त्याग कर दो।
प्राणि-पदार्थ परिस्थितिसे तुम रक्खो कभी न कुछ भी आस।
आशा करो आत्मसुख की, जो हर हालत में रहता पास।।
जो सुख-सिद्धि हेतु करता है अन्य किसी से कुछ भी आश।
आत्मसिद्धि-सुख से वह वंचित रहता होता सदा निराश।।
किसी भी प्राणी से, पदार्थ से या परिस्थिति से तुम कभी कुछ भी आशा मत रखो। उस आत्मसुखकी आशा करो जो हर हालत में तुम्हारे पास रहता है।
जो सुख औऱ सफलताके लिये दूसरे किसी से कुछ भी आशा करता है, वह जीवन की सफलता तथा सुख से वंचित रहता है औऱ सदा निराश होता है।
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