ई-पुस्तकें >> शिव पुराण 4 - कोटिरुद्र संहिता शिव पुराण 4 - कोटिरुद्र संहिताहनुमानप्रसाद पोद्दार
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भगवान शिव की महिमा का वर्णन...
दूसरा प्रहर आरम्भ होने पर पुन: पूजन के लिये संकल्प करे। अथवा एक ही समय चारों प्रहरों के लिये संकल्प करके पहले प्रहर की भांति पूजा करता रहे। पहले पूर्वोक्त द्रव्यों से पूजन करके फिर जलधारा समर्पित करे। प्रथम प्रहर की अपेक्षा दुगुने मन्त्रों का जप करके शिव की पूजा करे। पूर्वोक्त तिल, जौ तथा कमल-पुष्पों से शिव की अर्चना करे। विशेषत: बिल्वपत्रों से परमेश्वर शिव का पूजन करना चाहिये। दूसरे प्रहर में बिजौरा नीबू के साथ अर्ध्य देकर खीर का नैवेद्य निवेदन करे। जनार्दन! इसमें पहले की अपेक्षा मन्त्रों की दुगुनी आवृत्ति करनी चाहिये। फिर ब्राह्मणों को भोजन कराने का संकल्प करे। शेष सब बातें पहले की ही भांति तबतक करता रहे, जबतक दूसरा प्रहर पूरा न हो जाय।
तीसरे प्रहर के आनेपर पूजन तो पहले के समान ही करे; किंतु जौ के स्थान में गेहूँ का उपयोग करे और आक के फूल चढ़ाये। उसके बाद नाना प्रकार के धूप एवं दीप देकर पूएका नैवेद्य भोग लगाये। उसके साथ भांति-भांति के शाक भी अर्पित करे। इस प्रकार पूजन करके कपूर से आरती उतारे। अनार के फल के साथ अर्घ्य दे और दूसरे प्रहर की अपेक्षा दुगुना मन्त्र जप करे। तदनन्तर दक्षिणा सहित ब्राह्मण-भोजन का संकल्प करे और तीसरे प्रहर के पूरे होने तक पूर्ववत् उत्सव करता रहे।
चौथा प्रहर आने पर तीसरे प्रहर की पूजा का विसर्जन कर दे। पुन: आवाहन आदि करके विधिवत् पूजा करे। उड़द, कँगनी, मूँग, सप्तधान्य, शंखीपुष्प तथा बिल्वपत्रों से परमेश्वर शंकर का पूजन करे। उस प्रहर में भांति-भांति की मिठाइयों का नैवेद्य लगाये अथवा उड़द के बड़े आदि बनाकर उनके द्वारा सदाशिव को संतुष्ट करे। केले के फल के साथ अथवा अन्य विविध फलों के साथ शिव को अर्ध्य दे। तीसरे प्रहर की अपेक्षा दूना मन्त्रजप करे और यथाशक्ति बाह्मण-भोजन का संकल्प करे। गीत, वाद्य तथा नृत्य से शिव की आराधनापूर्वक समय बिताये। भक्तजनों को तबतक महान् उत्सव करते रहना चाहिये, जबतक अरुणोदय न हो जाय। अरुणोदय होने पर पुन: स्नान करके भाँति-भाँति के पूजनोपचारों और उपहारों द्वारा शिव की अर्चना करे। तत्पश्चात् अपना अभिषेक कराये, नाना प्रकार के दान दे और प्रहर की संख्या के अनुसार ब्राह्मणों तथा संन्यासियों को अनेक प्रकार के भोज्य-पदार्थों का भोजन कराये। फिर शंकर को नमस्कार करके पुव्यांजलि दे और
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