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गायत्री और उसकी प्राण प्रक्रिया

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15480
आईएसबीएन :00000

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Gayatri Aur Uski Pran Prakriya - a hindi book by  Sriram Sharma Acharya

शरीर में प्राण-शक्ति ही नीरोगिता, दीर्घजीवन, पुष्टि एवं लावण्य के रूप में चमकती है। मन में वही बुद्धिमत्ता, मेधा, प्रज्ञा के रूप में प्रतिष्ठित रहती है। शौर्य, साहस, निष्ठा, दृढ़ता, लगन, संयम, सहृदयता, सज्जनता दूरदर्शिता एवं विवेकशीलता के रूप व प्राण-शक्ति की ही स्थिति आँकी जाती है। व्यक्तित्व की समग्र तेजस्विता का आधार यह प्राण ही हैं, शास्त्रकारों ने इसकी महिमा को मुक्त कण्ठ से गाया है और जन-साधारण को इस सृष्टि की सर्वोत्तम प्रखरता का परिचय कराते हुए बताया है कि वे भूले न रहें, इस शक्ति-स्त्रोत को, इस भाण्डागार को ध्यान में रखें और यदि जीवन लक्ष्य में सफलता प्राप्त करनी हो तो इस तत्त्व को उपार्जित, विकसित करने का प्रयत्न करें।

गायत्री और उसकी प्राण-प्रक्रिया

अनुक्रम


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