उपयोगी हिंदी व्याकरण
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हिंदी के व्याकरण को अघिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
रूपावली वर्ग
क. बिना सहायक क्रिया होना के:
रूपावली वर्ग (1) संभाव्य भविष्यकाल
पुरुष | एकवचन | बहुवचन |
उत्तम पुरुष | मैं पढूँ (-ऊँ) | हम पढ़ें (-एँ) |
मध्यम पुरुष | तू पढ़े (-ए) | तुम पढ़ो (-ओ) |
अन्य पुरुष | वह पढ़े (-ए) | वे पढ़ें (-एँ) |
रूपावली वर्ग (2) सामान्य भविष्यकाल
पुरुष |
एकवचन |
बहुवचन |
उत्तम पुरुष |
मैं पढूँगा (-ऊँ +गा/गी) |
हम पढ़ेंगे (-एँ +गे/गी) |
मध्यम पुरुष |
तू पढ़ेगा (-ए +गा/गी) |
तुम पढ़ोगे (-ओ+गे/गी) |
अन्य पुरुष |
वह पढ़ेगा (-ए+गा/गी) | वे पढ़ेंगे (-एँ+गे/गी) |
रूपावली वर्ग (3) प्रत्यक्ष विधि
पुरुष | एकवचन | बहुवचन |
मध्यम पुरुष | तू पढ़ (Ø) | तुम पढ़ो (-ओ) |
मध्यम पुरुषी (आप) | आप पढ़िए (-इए-गा) | आप पढ़िए (-इए-गा) |
रूपावली वर्ग (4) परोक्ष विधि
पुरुष |
एकवचन | बहुवचन |
मध्यम पुरुष |
तू पढ़ना (-ना) | तुम पढ़ना (-ना) |
मध्यम पुरुषी (आप) |
आप पढ़िए (-इएगा) | आप पढ़िए (-इएगा) |
रूपावली वर्ग (5) सामान्य संकेततार्थ हेतुहेतुमद् भूत
मैं पढ़ता/ती | हम पढ़ते/तीं |
तू पढ़ता/ती | तुम पढ़ते/तीं |
वह पढ़ता/ती | वे पढ़ते/तीं |
रूपावली वर्ग (6) सामान्यभूत
मैं पढ़ता/ती | हम पढ़ते/तीं |
तू पढ़ता/ती | तुम पढ़ते/तीं |
वह पढ़ता/ती | वे पढ़ते/तीं |
टिप्पणी
1. रूपावली वर्ग — 1 में धातु लेना देना में दे → द और ले →
ल होता है और रूप दूँ, दें, दे दो, दे दें आदि बनते हैं। यही होना
धातु का न केवल — एँ, → ए के पूर्व हो → ह बनता है; बल्कि प्रत्यय — एँ, ए →
ओं, ओ, इस प्रकार रूप होते हैं — मैं होऊँ, हम हों, तू हो, तुम होओ, वह हो,
वे हों।
2. रूपावली वर्ग — 3 और —4 में ‘-इए (गा)’ ... करना, लेना, देना, पीना के साथ
‘—जिए (गा)’ बन जाता है, और कर → की, ले → ली, दे → दी। इस प्रकार रूप होते
हैं — कीजिए, लीजिए, दीजिए, पीजिए।
3. ‘—इए’ विनम्रता के कारण लगता है, वहाँ आज्ञा का भाव न होकर निवेदन या
परामर्श का भाव होता है। ‘-इएगा’ अतिविनम्रता दिखाता है।
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