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उपयोगी हिंदी व्याकरण

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हिंदी के व्याकरण को अघिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक


इस प्रकार क्रिया रूपावलियाँ दो प्रकार की हैं।

 (1) वचन पुरुष-अनुसारी और (2) वचन लिंग-अनुसारी।

वचन पुरुष— अनुसारी रूपावलियों में विशिष्ट प्रत्ययों का संयोजन होता है। (पढूँ = पढ़ + ऊँ), वचनलिंग — अनुसारी रूपावलियों में क्रियाधातु के बाद वर्तमान कृदंती प्रत्यय (-ता-ती-ते) या भूतकृदंती प्रत्यय (-आ-ई-ए) लगते हैं। क्रिया रूपावलियों की एक विशेषता यह है कि कृदंती प्रत्यय से बने रूपों के बाद-सहायक क्रिया होना के रूप (जाता है, गया है, जाता था, गया था आदि) आते हैं।

रूपावली वर्गों की रचना

हिंदी में 16 रूपावली वर्गों का प्रयोग होता है। इनकी रचना के दो मुख्य भेद हैं:

क. बिना सहायक क्रिया ‘होना’ के


  1. धातु + विशिष्ट प्रत्यय वचन (पुरुषानुसारी) : जैसे — मैं पढ़ूँ, हम पढ़ें आदि (रूपावली वर्ग) (1)(3)(4)

  2. धातु + वर्तमान कृदंत / भूतकृदंत वचन (लिंगानुसारी): जैसे — पढ़ता, पढ़ते; गया, गए आदि। (रूपावली वर्ग) (5)(6)

  3. धातु के वचन पुरुषानुसारी रूप के बाद गा/गी/गे (पुरुष — लिंगानुसारी): जैसे— मैं पढ़ूँगा, मैं पढ़ूँगी, हम पढ़ेंगे आदि। (रूपावली वर्ग) (2)

ख. सहायक क्रिया ‘होना’ के साथ

यहाँ सहायक क्रिया होना के पूर्व या तो वर्तमान कृदंत(-ता-ती-ते) लगा रूप या भूतकृदंत (-आ-ई-ए) लगा रूप होता है। सहायक क्रिया होना के पाँच विभिन्न रूपावली रूप प्रयुक्त होते हैं।

रूपावली वर्ग


-ता-ती-ते
है = हूँ, हैं, है, हो, है, हैं (7,8)


X था = था, थी, थे, थीं (9,10)
धातु -आ-ई-ए
हों = होऊँ, हो, हो, होओ, हो हो (11,12)



होगा = (होऊँगा, होंगे, होगा, होगे, होगा, होंगे) होऊँगी, होंगी, होगी, होगी, होगी, होंगी (13,14)



होता = होता, होती, होते, होतीं (15,16)

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