उपयोगी हिंदी व्याकरण
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हिंदी के व्याकरण को अघिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
ख. सहायक क्रिया “होना” के साथ
रूपावली वर्ग (7) "सामान्य वर्तमान"
मैं पढ़ता/ती हूँ | हम पढ़ते/ती हैं |
तू पढ़ता/ती है | तुम पढ़ते/ती हो |
वह पढ़ता/ती है | वे पढ़ते/ती हैं |
रूपावली वर्ग (8) पूर्ण वर्तमान आसन्नभूत
मैं चला/चली हूँ |
हम चले/चली हैं |
तू चला/चली है |
तुम चले/चली हो |
वह चला/चली है |
वे चले/चली हैं |
रूपावली वर्ग (9) अपूर्ण भूतकाल
मैं पढ़ता/ती था/थी |
हम पढ़ते/ती हैं |
तू पढ़ता/ती था/थी |
तुम पढ़ते/ती हो |
वह पढ़ता/ती था/थी |
वे पढ़ते/ती थे/थीं |
रूपावली वर्ग (10) पूर्ण भूतकाल
मैं चला/ली था/थी |
हम चले/लीं थे/थीं |
तू चला/ली था/थी |
तुम चले/लीं थे/थीं |
वह चला/ली था/थी |
वे चले/लीं थे/थीं |
रूपावली वर्ग (11) संभाव्य वर्तमान
मैं पढ़ता/ती होऊँ | हम पढ़ते/ती हों |
तू पढ़ता/ती हो | तुम पढ़ते/ती होओ |
वह पढ़ता/ती हो | वे पढ़ते/ती हों |
रूपावली वर्ग (12) संभाव्य भूतकाल
मैं चला/ली होऊँ | हम चले/लीं हों |
तू चला/ली हो | तुम चले/लीं होओ |
वह चला/ली हो | वे चले/लीं हों |
रूपावली वर्ग (13) संदिग्ध वर्तमान
मैं पढ़ता/ती होऊँगा/गी | हम पढ़ते/ती होंगे/गी |
तू पढ़ता/ती होगा/गी | तुम पढ़ते/ती होगे/गी |
वह पढ़ता/ती होगा/गी | वे पढ़ते/ती होंगे/गी |
रूपावली वर्ग (14) संदिग्ध भूतकाल
मैं चला/ली होऊँगा/गी | हम चले/ली होंगे/गी |
तू चला/ली होगा/गी | तुम चले/ली होंगे/गी |
वह चला/ली होगा/गी | वे चले/ली होंगे/गी |
रूपावली वर्ग (15) अपूर्ण संकेतार्थ
मैं पढ़ता/ती होता/ती | हम पढ़ते/ती होते/तीं |
तू पढ़ता/ती होता/ती | तुम पढ़ते/ती होते/ती |
वह पढ़ता/ती होता/ती | वे पढ़ते/ती होते/तीं |
रूपावली वर्ग (16) पूर्ण संकेतार्थ
मैं चला/ली होता/ती | हम चले/लीं होते/तीं |
तू चला/ली होता/ती | तुम चले/लीं होते/ती |
वह चला/ली होता/ती | वे चले/लीं होते/तीं |
टिप्पणी
1. धातुएँ स्वरांत होती हैं या व्यंजनांत। व्यंजनांत धातु के बाद
क्रियारूप-प्रत्यय मात्रा रूप में लगते हैं, और स्वरांत के बाद स्वतंत्र स्वर
के रूप में, जैसे — पढ़+ओ = पढ़ो, गा+ओ = गाओ।
2. ईकारांत और ऊकारांत धातुएँ ह्रस्व अर्थात् इकारांत और उकारांत हो जाती
हैं। इसी के साथ इ-ईकारांत के बाद य का आगम होता है। जैसे — छुएगा, (छुयेगा)
पिएगा आदि।
3. अभी हाल तक आकारांत, ऊकारांत, और ओकारांत धातुओं के बाद व का आगम
होता था। जैसे — होवे, होवेगा, ... सोवेगा आदि।
4. पूर्णकृदंत रूप रचना में दे → दी, ले → ली, कर → की, हो → हु में
परिवर्तित होता है। जैसे — दिया, लिया, किया, हुआ। जाना ... धातु
का सामान्यभूत में गया रूप होता है।
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