आचार्य श्रीराम शर्मा >> वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्ग वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्गश्रीराम शर्मा आचार्य
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मेरी समस्त भावी आशा उन युवकों में केंद्रित है, जो चरित्रवान हों, बुद्धिमान हों, लोकसेवा हेतु सर्वस्वत्यागी और आज्ञापालक हों, जो मेरे विचारों को क्रियान्वित करने के लिए और इस प्रकार अपने तथा देश के व्यापक कल्याण के हेतु अपने प्राणों का उत्सर्ग कर सकें।
राजनीतिज्ञों के दुष्चक्र ने तो युवाओं को और अधिक उलझा दिया है। शिक्षाकेंद्र तो पूरी तरह से राजनैतिक द्वन्द्व का अखाड़ा बन गये हैं। इस युद्ध में युवावर्ग का प्रयोग कच्चे माल के रूप में खुलेआम होता है। सुरासुंदरी तक उन्हें उपलब्ध कराने में राजनैतिक दलों को कोई हिचक नहीं होती। काले धन की थैलियां तो खुली ही रहती हैं. इस प्रकार के दूषित वातावरण में युवापीढ़ी ऐसी कुसंस्कृति को अपनाने के लिए मजबूर है जहाँ व्यक्तिगत जीवन में नैतिकता और नाते-रिश्तों की पवित्रता का कोई अर्थ नहीं रह जाता। यौन उच्छृंखलता को फैशन व आधुनिकता का प्रतीक समझा जाता है जिससे युवक-युवतियाँ आत्मघाती दुष्चक्र में उलझते जाते हैं। उनकी ऊर्जा और प्रतिभा किसी सार्थक कार्य में लगने के स्थान पर सौंन्दर्य प्रतियोगिताओं, फैशन शो और फिल्मों में बर्बाद होती है तथा अपराधी व बुरे लोगों के जाल में उनके फँसने की संभावनाएँ बढ़ती जाती हैं। उच्च आदर्शों एवं प्रेरणा स्रोतों के अभाव में वे नित नए कुचक्रों में उलझते रहते हैं। सामाजिक एवं राष्ट्रीय दायित्व बोध से कटे हुए ऐसे लोगों का जीवन मात्र स्वार्थपरता के संकुचित घेरे तक ही सीमित रह जाता है।
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