आचार्य श्रीराम शर्मा >> वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्ग वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्गश्रीराम शर्मा आचार्य
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मेरी समस्त भावी आशा उन युवकों में केंद्रित है, जो चरित्रवान हों, बुद्धिमान हों, लोकसेवा हेतु सर्वस्वत्यागी और आज्ञापालक हों, जो मेरे विचारों को क्रियान्वित करने के लिए और इस प्रकार अपने तथा देश के व्यापक कल्याण के हेतु अपने प्राणों का उत्सर्ग कर सकें।
विश्व इतिहास की महान् क्रांतियों में युवा शक्ति
भारत ही नहीं विश्व भर मे जितने भी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जितनी भी सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं राजनैतिक क्रांतियाँ हुई हैं, इनमें युवा भावनाएँ ही काम करती रही हैं। थोडे से प्रबुद्ध युवाओं ने समय की माँग को समझा तो स्वार्थ एवं विलासिता को ठोकर मारकर कुछ हजार भिक्षु उठ खड़े हुए और देखते ही देखते बौद्ध धर्म का प्रसार सारे एशिया में हो गया। 2000 वर्षों में विश्व की एक तिहाई जनता को ईसाई धर्म में दीक्षित करने का श्रेय ईसा के कुछ प्रबुद्ध युवा शिष्यों को जाता है। मार्क्स जब मरा था तो उसे दफनाने के लिए सिर्फ 5-10 व्यक्ति ही गए थे। पर जब प्रबुद्ध युवाओं ने उसके विचारों का महत्व समझा तो विश्व का एक बहुत बड़ा भाग साम्यवादी हो गया।
सही तो यह है कि किसी देश का निर्माण वहाँ की युवाशक्ति के नियोजन पर ही हुआ है। अमेरिका आज विश्व का सबसे समृद्ध एवं सशक्त राष्ट्र माना जाता है। वहाँ के सामाजिक, आर्थिक, कानूनी, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक क्षेत्र में जो तीव्र परिवर्तन हुए हैं उनका इतिहास बहुत पुराना नहीं है। 1910 ई में अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में कुल नौ व्यक्ति सरकारी अनुसंधान संस्थान की रूपरेखा लेकर एकत्रित हुए थे। उन्होंने बुकिंग इंस्टीट्यूट नामक संस्था की स्थापना की। इसका उद्देश्य अमेरिका के कानूनी, प्रशासन, शिक्षा एवं विज्ञान के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाना था। इन क्रांतिकारी कार्यक्रमों को बुकिंग इन्स्टीट्यूट ने केवल व्यवस्थित ढाँचा देकर प्रकाशित किया, लेकिन इसे उभारा वहाँ के प्रबुद्ध युवाओं ने। इस अभियान ने अमेरिका में बौबबुड, जौन गार्डनर, चालीडोर जैसे कर्मठ एवं प्रभावशाली व्यक्ति पैदा किए। इनके कार्यक्रमों से कोई व्यक्ति अछूता न रहा और ऐसी आँधी आयी कि कानूनी मामले ही नहीं, सामाजिक रहन-सहन और राष्ट्रीय प्रगति में ठोस परिवर्तन हुए। अमेरिका की वर्तमान प्रगति का इतिहास वहाँ के प्रबुद्ध युवाओं के पसीने से लिखा हुआ है।
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