आचार्य श्रीराम शर्मा >> वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्ग वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्गश्रीराम शर्मा आचार्य
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मेरी समस्त भावी आशा उन युवकों में केंद्रित है, जो चरित्रवान हों, बुद्धिमान हों, लोकसेवा हेतु सर्वस्वत्यागी और आज्ञापालक हों, जो मेरे विचारों को क्रियान्वित करने के लिए और इस प्रकार अपने तथा देश के व्यापक कल्याण के हेतु अपने प्राणों का उत्सर्ग कर सकें।
काकोरी कांड स्वतंत्रता इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण घटना रही है। 1925 ई. में हुए इस कांड के सभी क्रांतिकारी अभियुक्त युवा थे। अपने साहस एवं सहर्ष आत्मबलिदान के भाव से उन्होंने देशवासियों के हृदय में राष्ट्रप्रेम की लौ जगा दी थी। इनमें प्रमुख क्रांतिकारी अभियुक्त पं. रामप्रसाद बिस्मिल ने फाँसी के फन्दे को चूमते हुए कहा था-
अब न कोई बलबले हैं, और न अरमानों की भीड़,
एक मिट जाने की हसरत, अब दिले विस्मिल में है।
अन्य क्रांतिकारी अभियुक्त अमर शहीद अशफाक उल्ला खाँ, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, रोशन सिंह आदि सभी युवा ही थे। अपने अप्रतिम देशप्रेम एवं आत्मबलिदान द्वारा देश भर में क्रांति की नयी लहर फैलाने वाले शहीद ए-आजम भगतसिंह उस समय मात्र 23 वर्ष के थे। उनके क्रांतिकारी साथी राजगुरु एवं सुखदेव भी युवा ही थे। इसके अलावा अगणित गुमनाम युवाओं ने स्वतंत्रता संग्राम महायज्ञ में अपनी आहुति दी थी। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के समय भी युवाशक्ति अपने चरम पर उभर कर आगे आयी थी व राष्ट्रशक्ति का पर्याय बनी थी।
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