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			 नई पुस्तकें >> रश्मिरथी रश्मिरथीरामधारी सिंह दिनकर
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रश्मिरथी का अर्थ होता है वह व्यक्ति, जिसका रथ रश्मि अर्थात सूर्य की किरणों का हो। इस काव्य में रश्मिरथी नाम कर्ण का है क्योंकि उसका चरित्र सूर्य के समान प्रकाशमान है
 ‘‘जन्मा लेकर अभिशाप, हुआ वरदानी,
 आया बनकर कंगाल, कहाया दानी।
 दे दिये मोल जो भी जीवन ने माँगे,
 सिर नहीं झुकाया कभी किसी के आगे।”
 
 ‘‘पर हाय, हुआ ऐसा क्यों वाम विधाता?
 मुझ वीर पुत्र को मिली भीरू क्यों माता?
 जो जमकर पत्थर हुई जाति के भय से,
 सम्बन्ध तोड़ भगी दुधमुँहे तनय से।”
 			
		  			
						
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