नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
मैं चाहता हूँ तुमसे मिलते समय मेरी आँखों में आँसू हों।
मेरे उपहार का केवल एक अंश इस संसार में स्थित है और जितना भी अवशेष है वह मेरे स्वप्नों में भी निहित है। तुम मेरे स्पर्श को सदैव भ्रमित कर अपने दीप को छिपा लेते हो और रहस्यमय शान्ति में मेरे समीप आते हो।
अन्धकार में रोमांच को देखकर ही मैं तुम्हें जान जाऊँगा। अदृश्य संसार ही की कानाफूसी सुनकर मुझे तुम्हारा आभास हो सकता है और साथ ही किसी अज्ञात् तट की श्वास का स्पर्श करके ही तुम्हारे कंपन का अनुभव कर सकता हूँ।
मैं केवल उस समय तुम्हें जान पाऊँगा जब मेरे हृदय का उल्लास एकाएक द्रवित होकर विषादात्त अश्रुओं के रूप में प्रवाहित होने लगेगा।
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