नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
|
0 |
रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
अब तो केवल एक वेदनामय टीस ही हृदय में रह गई है।
मैं तो वह थकी सी भूमि हूँ जो जीवन से हीन और लुओं से झुलसी हुई है।
मैं तेरे जल की उस बौछार की प्रतीक्षा कर रहा हूँ जो रात्रि में आकाश से उतर कर भूमि की ओर बढ़ेगी। जब वह भूमि पर आ जायेगी तभी मैं साहस एवं शान्ति से प्रेरित होकर उसका स्वागत करूँगा।
मेरी इच्छा है कि तेरी वर्षा के बदले में तुझे अपने गीत और पुष्प दे दूँ।
किन्तु मेरा जीवन गोदाम तो खाली पड़ा है। मेरे पास है ही क्या? इस झुलसी हुई प्यास से प्रेरित होकर केवल एक वेदनामय टीस गहन बन बनकर मेरे हृदय से उठती रहती है।
मुझे आभास है... उस अरुणिम उषा की प्रतीक्षा तू भी अवश्य करेगा... जिसके आने पर समय की गोदी अतुल संपति से भर जायेगी।
* * *
|