लोगों की राय

नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार

प्रेमी का उपहार

रबीन्द्रनाथ टैगोर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :159
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9839
आईएसबीएन :9781613011799

Like this Hindi book 0

रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद

यह क्या कम साहस की बात है कि मैं मृत्यु की ललकार को भी स्वीकार कर रहा हूँ?

तेरे प्रेम का ध्यान आने पर जब भी मैं अपनी निद्रा से जाग जाऊँगा...तभी मेरी मनःशान्ति रूपी रात्रि का अन्त हो जायेगा।

तब सूर्य-उषा का उद्रेक अपनी अग्नि रूपी कसौटी से मेरे हृदय को छू लेगा, और तद्उपरान्त मेरे जीवन की यात्रा का विजयी विशाद अपनी कीली रूपी परिस्थितियों के चारों ओर चक्कर काटने लगेगा।

मृत्यु की ललकार को स्वीकार करके भी आगे बढ़ूँगा और स्वयं निंदित और अपमानित होकर भी तेरे कहने को अपने साथ रखूँगा।

यदि तेरे निरीह बालकों के प्रति कोई अनाधिकार चेष्टा की गई तो उस दुस्साहस के विरोध में अपने वक्षःस्थल को नग्न कर दूँगा और साथ ही तेरे समीप खड़े होने का दुस्साहस फिर मैं स्वयं करूँगा...हाँ, तेरे समीप जहाँ तेरे अतिरिक्त अन्य कोई भी खड़ा नहीं होता।

* * *

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book