नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
सब सुप्त हैं पर फिर भी कोई स्वयं जागकर सबको जगा रहा है
इस सुप्त भूमि पर कौन अकेला जाग रहा है...और वह भी उस समय जब पवन शान्त पत्तियों के मध्य झपकियाँ ले रहा है।
यदि जागो तो वहाँ जागो जहाँ छोटी-छोटी चिड़ियों के घोंसले शब्दहीन होकर बैठे हैं और जहाँ पुष्प कलियों ने अपने रहस्यमय हृदय को छिपा रखा है।
मैं फिर कहता हूँ... यदि तुम जागो तो वहाँ जागो जहाँ आकाश के तारागण कम्पन से हाँफ रहे हैं और जहाँ मेरा ही अपना जीवन वेदना की गहनता को प्राप्त किये बैठा है।
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