नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
आराधना प्रेम की सबसे ऊँची सीढ़ी है और सबसे पहली भी
दिवस का शोरगुल जब थककर आगत् निशा के आँचल में बैठ जाता है तभी सागर का कलकल भी वायु में अपनी ध्वनि भरने लगता है। दिवस की घुमक्कड़ इच्छायें निशा के प्रदीप्त दीपक को निहार कर शान्तिमय हो जाती हैं और फिर उसी के चारों ओर आकर बैठ जाती हैं।
प्रेम का सुकुमार खेल जब आराधना को प्राप्त कर लेता है तो उसमें शान्त स्वभाव की गम्भीरता आ जाती है। और परिपक्वता में जीवन की धारा गहनता को छूने लगती है और अनेकानेक रूपों वाली सृष्टि जब अपने से परे...दूरस्थ...कहीं रूपहीन सौन्दर्य को पहचानने लगती है तो लज्जित होकर समस्त सौन्दर्य-संसार एक छोटे से घोंसले में आकर बैठ जाता है।
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