नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
अपना ‘प्रेम’ देने के पश्चात् तुझे फूलों का हार भी पहना दिया, बस
मेरे प्रिय संसार! मेरे हृदय ने तुझसे प्रणय करके भी तेरा चुम्बन नहीं किया, तब तेरी मुख कान्ति की आभा न जाने कैसे और न जाने कहाँ खो गई।–बस तभी से तेरा आकाश अपने प्रकाश द्वारा प्रज्वलित होकर आँखें फाड़-फाड़कर मुझे घूरने लगा।
तब–मेरा हृदय अपने गीतों सहित तेरे समीप आया, तुझसे अपनी बातें कहीं और कुछ तेरी सुनीं और तत्पश्चात् उसने तेरे गले में एक जयमाला भी डाल दी।
मुझे विश्वास है–मेरे हृदय ने तुझे वह सब कुछ दे दिया है जिसे तू बड़ी सावधानी से अपनी तारिकाओं के कोष में रख लेगा।
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