नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
बचपन, एक बीती हुई बात बन गया–बस एक गीत बन गया जिसे गा चुका हूँ
मुझे अपने उस बचपन की स्मृति है जब सूर्य की उदित बेला, मेरे साथी के समान मेरे शयन स्थान पर प्रातः के विस्मय के समान फूट पड़ती थी।
साधारण-सी हँसी हँसते हुए मेरे बचपन में विश्वास ऐसे ही दिव्य हो जाता था जैसे नवीन पुष्प नित्य प्रति मेरे हृदय में खिल कर सस्मित-सा दीखने लगता है।
मुझे स्मृति है–छोटे-छोटे कीड़े, पशु और पक्षी तथा घास और बादल अपने-अपने आश्चर्यजनक विस्मय के मूल्य को पूर्णतया पहचानते थे।
मुझे उन दिनों का ध्यान है जब निशामय रात्रि में वर्षा की झड़ी अप्सराओं के देश से सुन्दर स्वप्नों को ला-लाकर मुझे देती थी और संध्या समय माँ की बोली तारिकावलियों को एक अर्थ का सन्देश भेजा करती थी।
–और तब-जब–भी मैं मृत्यु और उषा-अवतरण के सम्बन्ध में सोचता था तभी मेरा हृदय प्रेम के हृदयस्पर्शी विस्मय से रोमांचित होकर जाग उठता था।
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