नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
सर्वेश्वर जब तुम आते हो तब कोई किसी को धक्का नहीं देता
यह उचित नहीं कि तुम्हें स्थान देने के लिए किसी दूसरे को उस जगह से हटा दिया जाये अथवा धक्का दे दिया जाये।
यदि प्रेम और आदर की भावना तुम्हारे बैठने के लिए किसी स्थान का प्रबन्ध करती है तो साथ ही वही उन सबके लिए भी बैठने का प्रबन्ध करती है जिन्होंने तुम्हारे लिए किसी स्थान को छोड़ दिया।
जहाँ कहीं भी इस लौकिक संसार का राजा दिखाई पड़ जाता है वहीं उसी समय उसके अंगरक्षक स्वामी के स्वागत में आई हुई भीड़ को हटाने लगते हैं।
–पर मेरे सर्वेश्वर! जब तुम आते हो तो समस्त सृष्टि तुम्हारी चेतनता के साथ ही चली आती है और कोई भी तुम्हारी रक्षा के हेतु किसी दूसरे को धक्का नहीं देता।
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