नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
देव! सब तुम्हें शीश नवाते हैं, पर मैं तो तुम्हें देखता ही रहता हूँ।
यह तो वह क्षण है जब उषा-रश्मि के सुनहरी गलीचे पर मैं तुम्हें बैठा हुआ देखता हूँ।
तुम्हारे राजमुकुट के उत्सव के समय सूर्य चमकता है, तारिकावलियाँ तुम्हारे चरणों में गिर-गिर जाती हैं, स्त्री और पुरुषों के झुण्ड के झुण्ड आकर तुम्हें शीश नवाते हैं और चले जाते हैं पर मैं–वास्तव में, मैं तो एक कोने में निस्तब्ध बैठा तुम्हारी ओर एकटक देखता रहता हूँ।
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