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मुल्ला नसीरुद्दीन के कारनामे

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :56
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9837
आईएसबीएन :9781613012734

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हास्य विनोद तथा मनोरंजन से भरपूर मुल्ला नसीरुद्दीन के रोचक कारनामे

इससे पहले कि कर अधिकारी उसकी बात का अर्थ समझ पाता, रुल्ला नसीरुददीन उछलकर अपने गधे पर बैठा और उसे ऐड़ लगाकर सरपट दौड़ाता हुआ एक गली में जा घुसा। वह लगातार अपने गधे का हौसला बढ़ाते हुए कह रहा था-'और तेज, और तेज मेरे वफादार दोस्त! जल्दी भाग वरना तेरे इस मालिक को एक और 'कर' अपना ये सिर देकर चुकाना पड़ेगा-और तेज मेरे वफादार गधे, और तेज...........।

मुल्ला नसीरुद्दीन का गधा भी अलग किस्म का था। मालिक ना भी कहे तब भी वह हालात को देखकर अपनी चाल बदल लेता था। उसके लम्बे और सतर्क कानों ने फाटक से आती चिल्ल-पों और कर अधिकारी की डकराहट सुन ली थी जो अपने सिपाहियों को उस शैतान को पकड़ लाने का आदेश दे रहा था-'जाओ, जल्दी जाओ-पकड़कर लाओ उस काफिर को, आखिर वह है कौन!'

हवा में तैरती इन आवाजों ने मुल्ला नसीरुद्दीन के गधे के पैरों में जैसे बिजली भर दी हो। वह किसी की भी परवाह किये बिना भागा जा रहा था। वह इतनी तेजी से भाग रहा था कि मुल्ला नसीरुद्दीन को भी अपने पाँव ऊपर उठाने पड़ रहे थे।

वह तो बिल्कुल गधे की पीठ पर पड़ी जीन से चिपक गया था। उसकी बाजुयें गधे की गर्दन से लिपटी हुई थीं।

यह देखकर गली के कुत्ते डर और घबराहट के मारे भौंकने लगे कि या अल्लाह! ये क्या बवाल आ गया। गली में घूमते-चुगते मुर्गे-मुर्गियों और उनके चूजे डरकर इधर-उधर भाग रहे थे। राहगीर अचरज से दीवारों के साथ सटकर खड़े हो गये थे। कोई समझ नहीं पा रहा था कि क्या मुसीबत है? किसी की समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था।

उधर कुछ सिपाही उसकी खोज में इधर-उधर निकल पड़े थे। कर अधिकारी अभी तक क्रोध से थरथरा रहा था। उसकी आँखें लाल हो गयी थीं और नथुने फड़फड़ा रहे थे। एक आशंका फांस की तरह उसके हलक में फंसी हुई थी कि वह आजाद खयालात वाला निडर कही मुल्ला नसीरुद्दीन तो नहीं था?

आखिर ऐसी बेबाक बात मुल्ला नसीरुद्दीन के सिवाए और कह ही कौन सकता था?

उधर लोग भी आपस में खुसुर-फुसुर करने लगे थे।

'ये जवाब तो मुल्ला नसीरुद्दीन के ही योग्य था।'

दोपहर होते-होते यह चर्चा पूरे शहर में पहुँच चुकी थी कि एक व्यक्ति ने द्वार पर ऐसी बात कही। जिसने भी सुना, उसने यही कहा-ऐसा जवाब तो मुल्ला नसीरुद्दीन ही दे सकता है।

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