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मुल्ला नसीरुद्दीन के कारनामे

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :56
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9837
आईएसबीएन :9781613012734

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हास्य विनोद तथा मनोरंजन से भरपूर मुल्ला नसीरुद्दीन के रोचक कारनामे

4. गधा और गधे के रिश्तेदार


बुखारा में दाखिल होते समय व्यापार के लिए मुल्ला नसीरुद्दीन के पास कोई सामान न था उसे तो सिर्फ शहर में दाखिल होने का टैक्स अदा करना था।

अधिकारी ने पूछा-'तुम कहाँ से आये हो और आने का सबब क्या है?'

मुहर्रिर ने सींग से भरी स्याही में नेजे की कलम डुबोई और मुल्ला नसीरुद्दीन का बयान दर्ज करने के लिए तैयार हो गया। मुल्ला नसीरुद्दीन ने बताया-'हुजूरे आला! मैं ईरान से आया हूँ। बुखारा में मेरे कुछ सम्बंधी रहते हैं, उन्हीं से मिलने आया हूँ।' यह सुनकर कर अधिकारी ने कहा-'अच्छा तो तुम यहाँ अपने सम्बंधियों से मिलने आये हो. तुम्हें मिलने वालों का कर अदा करना पड़ेगा।'

'लेकिन हुजूर! मैं उनसे मिलूँगा नहीं।' मुल्ला नसीरुद्दीन ने कहा-'मैं तो एक जरूरी काम से यहाँ आया हूँ।'

'काम से आये हो?' अधिकारी चीखा, उसकी आँखों में चमक उभर आई-'इसका मतलब है कि तुम अपने रिश्तेदारों से भी मिलोगे और काम भी निबटाओगे। तुम्हें दोनों कर अदा करने पड़ेंगे, मिलने वालों का भी और काम का भी। इसके अलावा उस अल्लाह के सम्मान में मस्जिदों की अराइश के लिए अतिया अदा करो जिस अल्लाह ने रास्ते में डकैतों से तुम्हारी हिफाजत की।' मुल्ला नसीरुद्दीन ने सोचा-'मैं चाहता था कि वह अल्लाह इस समय मेरी इन मुफ्तखोरों से हिफाजत करता, डकैतों से बचाव तो मैं खुद कर लेता।' लेकिन वह खामोश ही रहा क्योंकि उसे मालूम था कि इस बातचीत के प्रत्येक शब्द का मूल्य उसे दस तंके देकर चुकाना पड़ेगा। उसने चुपचाप अपनी अंटी में से थैली निकालकर शहर में दाखिले का, रिश्तेदारों का, व्यापार का तथा मस्जिदों के निर्माण का कर अदा किया। सिपाही इस फिराक में आगे को झुक-झुककर देख रहे थे कि देखें, इसके पास कितनी रकम और है, मगर जब कर अधिकारी ने उन्हें सख्त निगाह से पूरा तो वे पीछे हट गये।

मुहर्रिर के नेजे की कलम तेजी से रजिस्टर पर चल रही थी। कर अदा करने के बाद भी नसीरुद्दीन की थैली में कुछ तंके बच गये थे। कर अधिकारी की आँखों में वे तंके खटक रहे थे और वह तेजी से सोच रहा था कि वह तंके भी इससे कैसे हथियाये जायें?

कर अदा करने के बाद मुल्ला नसीरुद्दीन चलने को हुआ तो अधिकारी चिल्लाया-'ठहरो!' मुल्ला नसीरुद्दीन पलटकर उसका चेहरा देखने लगा।

'इस गधे का कर कौन अदा करेगा? यदि तुम अपने रिश्तेदारों से मिलने आये हो तो जाहिर है कि तुम्हारा गधा भी अपने रिश्तेदारों से मिलेगा, इसका कर अदा करो।'

मुल्ला नसीरुद्दीन ने फिर अपनी थैली का मुँह खोला और बड़ी ही नम्रता से बोला-'मेरे आका! आपने बिल्कुल दुरुस्त फरमाया है। हकीकत में बुखारा में मेरे गधे के सम्बन्धियों की तादाद बहुत ज्यादा है, वरना जैसे यहाँ काम चल रहा है, उसे देखते हुए तो तुम्हारे अमीर बहुत पहले ही तख्त से उतार दिये होते और मेरे हुजूर! आप अपने लालच की वजह से न जाने कब के सूली पर चढ़ा दिये गये होते।'

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