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मुल्ला नसीरुद्दीन के कारनामे

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :56
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9837
आईएसबीएन :9781613012734

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हास्य विनोद तथा मनोरंजन से भरपूर मुल्ला नसीरुद्दीन के रोचक कारनामे

जब उस अमीर आदमी को पता लगा कि मुल्ला उसका दिया हुआ धन बेतहाशा खर्च कर रहा है तो उसको बड़ी चिन्ता हुई। उसने सोचा कि अगर मुल्ला ने सारा धन खर्च कर डाला तो उससे वापस मिलना असंभव है। इसलिए उसके पास जाकर सारा मजाक उसको बता दिया जाये और अपना धन वापिस लिया जाये। यह सोचकर वह भागा हुआ मुल्ला के पास आया और सारी कहानी उसे कह सुनायी। मुल्ला ने जबाव दिया- 'जाइये, अपना काम कीजिए। बेवकूफ किसी ओर को बनाइयेगा। मुझे तो मेरे खुदा ने धन दिया है। आपने शायद मेरी प्रार्थना सुन ली थी। इसी को सुनकर आपने यह कहानी गढ़ ली है। धन आपको हरगिज न दूँगा।'

अमीर आदमी ने कहा- 'मैं भी इतना बड़ा धन आसानी से नहीं छोड़ सकता। मैं तुम्हें अदालत में ले जाऊँगा। देखें, वहाँ से कैसे बचते हो?' यह कहकर अमीर आदमी वहाँ से जाने लगा, तो मुल्ला ने उसे रोक कर कहा-'मैं अदालत में जाने को तैयार हूँ। अगर अदालत यह कहती हैकि यह धन तुम्हारा था, तो मैं पैसा-पैसा चुकाने की हिम्मत रखता हूँ, पर मेरी एक शर्त है। मेरे पास न तो उचित कपड़े हैं और न कोई सवारी। अगर मैं वर्तमान हालत में अदालत में गया, तो वह अवश्य ही तुम्हारे व्यक्तित्व और माल-दौलत से प्रभावित होकर तुम्हारे पक्ष में फैसला कर देगी। इसलिए मुझे अदालत से उस समय तक न्याय की आशा नहीं है जब तक मेरा हुलिया भी तुम्हारे जैसा न हो जाये।'

अमीर आदमी ने मुल्ला को अदालत तक ले जाने की खातिर अपना लम्बा कोट और घोड़ा उसे दे दिया और स्वयं पैदल, सादे कपड़ों में चलने लगा। अब मुल्ला की शान ही कुछ और थी। दोनों इसी प्रकार अदालत में पहुँचे।

वहाँ पहुँचकर अमीर आदमी ने पूरी घटना बयान की और काजी से याचना की कि उसका धन दिलवाया जाये। काजी ने मुल्ला से पूछा-'तुम्हें अपनी सफाई में कुछ कहना है?' मुल्ला ने जवाब दिया-'हुजूर! इस आदमी का दिमाग खराब है। इसकी कोई बात विश्वास के योग्य नहीं है।'

काजी ने पूछा- 'इस दावे का कोई प्रमाण तुम्हारे पास है?

मुल्ला ने बड़ी निश्चिंतता से जवाब दिया- 'इसका प्रमाण यह आदमी स्वयं अपनी जबान से देगा। यह जो भी चीज देखता है, फौरन अपनी कह देता है। अगर आप इससे मेरे घोड़े के बारे में पूछें, तो यह कहेगा, मेरा है। इसी प्रकार मेरे कपड़ों के बारे में सवाल करें, तब भी यही कहेगा, मेरे हैं। ऐसे आदमी की बात का क्या विश्वास! जब इन छोटी-छोटी चीजों को यह अपना कह बैठता है, तो सौ दीनार तो एक बड़ा धन है।'

अमीर आदमी ने मुल्ला का यह भाषण सुना तो फौरन चीख का- 'पर हुजूर, यह चीजें तो सचमुच मेरी हैं।'

काजी ने उसी समय मुकदमा खत्म करके मुल्ला को सम्मानपूर्वक मुक्त कर दिया।  

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