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मुल्ला नसीरुद्दीन के कारनामे

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :56
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9837
आईएसबीएन :9781613012734

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हास्य विनोद तथा मनोरंजन से भरपूर मुल्ला नसीरुद्दीन के रोचक कारनामे

14. वास्तविक खुशी


मुल्ला नसीरूद्दीन एक बार एक सड़क पर चले जा रहे थे कि एक किनारे पर एक आदमी दिखाई दिया। वह बहुत संकट में फँसा हुआ दुःखी नजर आ रहा था। मुल्ला अपनी आदत से मजबूर थे। वे उसके पास पहुँच गये। उससे उसके दुःखी होने का कारण पूछने लगे। उस आदमी ने कहा- 'भाई! यह दुनिया बड़ी खराब जगह है। यहाँ कोई आदमी सुखी नहीं। मुझे परमात्मा ने रुपया-पैसा, माल-दौलत सभी कुछ दे रखा है, पर दिल बुझा-बुझा सा रहता है। इसलिए मैं खुशी की तलाश में घर से निकला हूँ।'

आदमी अभी अपनी बात पूरी भी न कर पाया था कि मुल्ला उसकी गठरी उठाकर नौ-दौ-ग्यारह हो गये। उस आदमी ने कुछ दूर तक मुल्ला का पीछा किया, लेकिन मुल्ला भला कहाँ पकड़ में आने वाले थे। वे रास्ते से भली-भाँति अवगत थे। गलियों की भूल-भुलैयाओं में चक्कर काटकर गायब हो गये, पर थोड़ी ही देर बाद गठरी लेकर दोबारा उस आदमी के ठिकाने से थोड़ी दूरी पर पहुँचे। गठरी सड़क के बीचों-बीच रख दी और स्वयं एक झाड़ी में छिपकर उसकी रक्षा करने लगे।

उस आदमी की नजर जैसे ही अपनी गठरी पर पड़ी, वह उसकी ओर दौड़ पड़ा और उस गठरी को पाकर वह खुशी से फूला न समाया।

अब मुल्ला अपने छिपे हुए स्थान से बाहर निकल आये और उस आदमी के पास पहुँच कर बोले- 'यह भी एक तरीका है खुशी प्राप्त करने का।'

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