ई-पुस्तकें >> मुल्ला नसीरुद्दीन के कारनामे मुल्ला नसीरुद्दीन के कारनामेविवेक सिंह
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हास्य विनोद तथा मनोरंजन से भरपूर मुल्ला नसीरुद्दीन के रोचक कारनामे
9. दूर की कौड़ी
मुल्ला नसीरूद्दीन ने एक दिन बाजार से कुछ सामान खरीदा। सामान का वजन कुछ अधिक था। मुल्ला ने उसे स्वयं ही उठाकर पीठ पर लादा और चलना शुरू किया, लेकिन वे बेचारे कमजोर इंसान थे। इतना बोझ भला कैसे उठता। सामान जमीन पर गिर पड़ा और वे स्वयं पसीने-पसीने हो गये। अब वे चारों ओर देखने लगे कि शायद कोई मजदूर नजर आये, तो उसे दो-चार पैसे देकर सामान घर पहुँचवाया जाये। संयोगवश उन्हें एक मजदूर नजर आ गया। मुल्ला ने उससे मजदूरी ठहराई और सामान उसके ऊपर लदवा कर इस तरह चले कि स्वयं आगे-आगे और मजदूर पीछे-पीछे था।
थोड़ी दूर तक चलने के बाद मुल्ला ने पीछे मुड़कर देखा, तो मजदूर गायब था। उन्हें बड़ी चिन्ता हुई। घबरा कर चारों ओर देखा, लेकिन वह कहीं नजर न आया। वे वापस उसी स्थान पर आये, जहाँ मजदूर को लिया था, लेकिन वह वहाँ भी न मिला। मजबूर होकर घर वापस आये और बीवी की घुड़कियाँ सुननी पड़ी।
इस घटना को एक महीना बीत गया। एक दिन मुल्ला अपने दोस्तों के साथ कहीं जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें वही मजदूर दिखाई दिया। उन्होंने अपने दोस्तों को भी वह मजदूर दिखाया और सारी घटना कह सुनाई, लेकिन उसे पकड़ा नहीं।
दोस्तों ने पूछा कि जब वह आपको मिल गया है, तो उसको पकड़कर डाँटिये और उससे अपना सामान निकलवाइए।
मुल्ला ने जवाब दिया- 'तुममें और हममें बस यही तो अन्तर है। तुम लोग सामने की चीज देखकर फैसला करते हो। मैं हर बात को दूर तक देखता हूँ और खूब सोच-विचार करने के बाद फैसला करता हूँ। अगर मैं उसको पकड़ लेता और वह मुझसे एक महीने की मजदूरी माँग बैठता तो मैं कहाँ से देता! एक महीना तो बड़ी बात, मेरे पास तो अब एक दिन की मजदूरी के भी पैसे नहीं हैं। इसलिए मैंने उससे न मिलना ही उचित समझा है।'
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