ई-पुस्तकें >> मुल्ला नसीरुद्दीन के कारनामे मुल्ला नसीरुद्दीन के कारनामेविवेक सिंह
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हास्य विनोद तथा मनोरंजन से भरपूर मुल्ला नसीरुद्दीन के रोचक कारनामे
10. बहस और तकरार
एक दिन मुल्ला नसीरूद्दीन और उनकी बीवी में रात के समय मुख्य द्वार की कुण्डी लगाने पर बहस हो गई। मुल्ला कहते कि रोजाना मैं कुण्डी लगाता हूँ, आज हरगिज न लगाऊँगा और बीवी का कहना था कि यह गलत है, कुण्डी मैं लगाती हूँ। काफी देर तक तकरार होने के बाद इस बात पर दोनों सहमत हो गये कि आज वह कुण्डी लगायेगा, जो पहले बोलेगा। यह निश्चय कर दोनों चुप हो गये और एक दूसरे का मुँह खुलने की प्रतीक्षा करने लगे।
इसी खामोशी की अवस्था में काफी रात हो गई। बीवी ने रात का खाना परोसा। दोनों खाने के लिए बैठ गये। वे खाना शुरू करने ही वाले थे तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी। दोनों में से कोई न बोला-वह भिखारी था, उसने दरवाजा खुला पाया तो धीरे-से कमरे में घुस आया और उन लोगों के पास आकर बैठ गया। ये दोनों इस पर भी कुछ न बोले। भिखारी की कुछ समझ में न आया कि आखिर यह मामला क्या है? वह कुछ देर तक बड़ी शान्ति से देखता रहा, लेकिन खाना सामने देख कर अपनी भूख पर काबू न रख सका। उसने चुपके से सालन-रोटी अपनी ओर खींची और खाना शुरू कर दिया। मुल्ला और उनकी बीवी देखते रहे लेकिन मुँह से कुछ न बोले-उन्हें कुण्डी लगाने से बढ़कर अपनी बात खराब होने का डर था।
भिखारी धीरे-धीरे सब खाना चट कर गया। जब उसने देखा कि अब भी दोनों पति-पत्नी चुप्पी साधे बैठे हैं, तब उसको शरारत सूझी। उसने बची-खुची हड्डियों का हार बनाया और मुल्ला के गले में डालकर घर से बाहर चला गया।
उसके बाहर जाते ही एक कुत्ता कमरे में घुस आया। कुत्ते ने आते ही मुल्ला के गले में पड़ी हुई हड्डियों पर मुँह मारा और एक हड्डी मुँह में दबाकर बाहर निकलना चाहा। मुल्ला को डर लगा कि कहीं कुत्ता स्वयं मुझे ही जख्मी न कर दे। इसलिए वह कुत्ते के साथ-साथ घर से बाहर निकल आये। अब तो बीवी से न रहा गया। वह चिल्लाई-'ऐ खुदा के बन्दे! अब तो लौट आओ। कुण्डी नहीं लगानी है, तो न लगाओ।
बीवी की आवाज सुनकर मुल्ला की जान में जान आई। हड्डियों की माला गले से उतार फेंकी और डण्डा उठाकर कुत्ते को मार भगाया। फिर बीवी से बोले-'देखा, किसकी जीत हुई? यह सच है कि मर्द सदा औरत पर हावी रहता है। अब जाओ और खामोशी से कुण्डी लगा कर आओ।
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