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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836
आईएसबीएन :9781613012741

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

34

चौराहे पर खड़ा मुल्ला दहाड़े मार-मारकर रो रहा था-'अरे, कोई मेरे दोस्त को बचा लो। वह मेरा बड़ा प्यारा दोस्त है।

उसका रोना-धोना सुनकर भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी। भीड़ में से एक व्यक्ति ने पूछा- 'मुल्लाजी क्या हो गया आपके दोस्त को?'

'उसके साथ भयंकर दुर्घटना घट गई है, मेरे भाई!' सुबकते हुए मुल्ला ने कहा।

'कैसी दुर्घटना?'

'क्या बताऊँ भाई, वह मेरी तेज-तर्रार और लड़ाकू पत्नी को उड़ाकर भाग गया है।'

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