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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836
आईएसबीएन :9781613012741

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

27

'मुल्ला, जुकाम के मारे मेरा बुरा हाल है। मुझे बचाओ।' मुल्ला के एक परिचित ने उसके पास आकर कहा।

कुछ देर विचार करने के बाद मुल्ला बोला- 'बर्फीले पानी में नहाकर दो घण्टे नंगे बदन रहकर मेरे पास आओ तो इलाज करूँ।'

'मगर ऐसा करने पर तो मुझे न्यूमोनिया हो जाएगा।' परिचित ने शंका व्यक्त की।

'तुम ठीक समझे-मैं यही तो चाहता हूँ।' प्रसन्नता से झूमता हुआ मुल्ला बोला।

'मगर तुम ऐसा चाहते क्यों हो?' परिचित ने पूछा।

'भई, जुकाम का मेरे पास कोई इलाज नहीं है, हाँ न्यूमोनिया का मैं सही इलाज कर देता हूँ।' मुल्ला ने कहा।

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