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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836
आईएसबीएन :9781613012741

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

26

मुल्ला का प्रवचन सुनने के लिए मस्जिद में दो सौ आदमी जमा थे।

प्रवचन कर चुकने के बाद मुल्ला ने कहा-'आप सब लोग धार्मिक हैं, पवित्र विचारों वाले हैं, मगर इस भीड़ में एक व्यक्ति ऐसा भी है जिसके मन में बुरे विचारों का तूफान लहरा रहा है, वह चाहता है कि सबकी दौलत उसकी हो जाए, वह सबसे बड़ा कहलाए वगैरह... वगैरह...।

हाँ, तो उस आदमी से मेरी यही प्रार्थना है कि एक सप्ताह के भीतर-भीतर वह पाँच रुपये के सिक्के मस्जिद के बाहर रखी सन्दूक में चुपचाप डाल जाय वर्ना अगले शुक्रवार की मीटिंग में सबके सामने मैं उसका नाम बता दूँगा।'

अगले शुक्रवार को सुबह मुल्ला ने सन्दूक खोलकर रुपया गिने तो पूरे एक हजार थे!

स्मरण रहे कुल श्रोताओं की संख्या दो सौ थी।

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