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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836
आईएसबीएन :9781613012741

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

23

अपने एक मित्र के यहाँ रात का खाना खाने और छककर पीने के बाद जब मुल्ला घर लौटने लगा तो रात के ग्यारह बज चुके थे। दोस्त ने मुल्ला को लालटेन देकर विदा किया।

एक-डेढ़ घण्टे बाद दोस्त के द्वार पर खट-खट हुई तो वह हड़बड़ाकर उठा और दरवाजा खोला। दरवाजे पर मुल्ला नसीरुद्दीन लालटेन लिए खड़ा था।

अरे मुल्ला जी ! आप अभी तक घर नहीं गये? दोस्त ने मुल्ला से पूछा।

'गया क्यों नहीं! घर पहुँचकर आपकी लालटेन वापिस करने आया हूँ। इस बेचारी ने रास्ते भर बड़ा आराम पहुँचाया। तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद! यों कहते हुए मुल्ला ने दोस्त को लालटेन पकड़ा दी ओंर स्वयं लौट पड़ा।

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