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मूछोंवाली
मूछोंवाली
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ :
ई-पुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9835
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आईएसबीएन :9781613016039 |
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
63
दोस्त-दुश्मन
तब चांद-सूरज और पृथ्वी एक साथ रहते थे। एकछत्र राज्य था उनका। किसी बात पर सूरज का उन दोनों से झगड़ा हो गया और दोनों रोते-पीटते वहां से चले आए। चांद पृथ्वी को और पृथ्वी चांद को बहुत चाहते और संसार में सबसे श्रेष्ठ एक-दूसरे को सोचते लेकिन सूरज की दोनों घुट-घुट कर बुराई करते थे।
सूरज अकेला था सो बड़ा खुश था लेकिन उसकी नजर भी दोनों की गतिविधियों से बन्द न थी।
चांद और पृथ्वी को जब एक साथ रहते बहुत समय हो गया तो एक दिन किसी बात को लेकर दोनों में अनबन हो गई।
सूरज को मालूम पड़ा तो उसने कमजोर चांद को सहारा दिया और अपने पास बुला लिया। अब चांद को सूरज के गुणों का पता लगा। उसे बड़ा दुःख हुआ कि सूरज को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझता था। वह पृथ्वी के उपकारों को भूल गया। अब वह सूरज के साथ घुटघुट कर पृथ्वी की बुराई करने लगा।
सूरज का स्वभाव गर्म था इसलिए कालान्तर में चांद उसके साथ भी न रह सका। अब उसे पृथ्वी ही अच्छी लगी और तब से वह पृथ्वी के चक्कर काटने लगा।
सूरज जब क्रोधित होकर पृथ्वी पर गुस्सा हो जाता है तो चांद अपनी शीतल रश्मि से उस पर बिखर जाता है और सदियों से यह क्रम चलता आ रहा है।
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