नई पुस्तकें >> मूछोंवाली मूछोंवालीमधुकांत
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
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ईल्लू-ईल्लू
प्रेम पत्र
मन कंपित, उल्लासित।
प्रिय, सौरभ
कल कॉलेज में
रक्तदान उत्सव था।
सहेलियों के साथ
मैंने रक्तदान किया।
हमने रक्तदान किया।
हम सबको, विश्वास था
रक्तदान के समय
कोई प्रार्थना करो
भगवान स्वीकारता।
जानते हो, मैंने क्या माँगा
तुम्हारा प्यार, केवल तुम्हारा प्यार।
सच कहूं, रक्तदान करके
कुछ खोया नहीं
बहुत बहुत पाया।
उस क्षण अनुभव हुआ
मैं अपने रक्त से
प्रेम की ऊंचाइयां छू रही हूं
सचमुच जी रही हूं
शेष फिर...
केवल आपकी, रक्तदानी।
पत्र पढ़कर मुझे लगा
एक कदम प्रेम का
मुझे भी बढ़ाना चाहिए।
चलकर किसी शिविर में,
रक्तदान करना चाहिए।
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