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मूछोंवाली
मूछोंवाली
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ :
ई-पुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9835
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आईएसबीएन :9781613016039 |
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
3
दूसरा दर्जा
दोनों बहन-भाई अपनी-अपनी तख्ती को सुखाने के प्रयास में तेजी से घुमा रहे थे तथा गा रहे थे कि...
‘सूख-सूख पट्टी, बंदन बटी,
महल के ऊपर झण्डा
झण्डा गया टूट,
पट्टी गई सू ...।’
‘लो मेरी पट्टी सूख गई’, गौरया ने बिल्लु को चिढ़ाते हुए कहा।
बिल्लु अपनी पराजय से तिलमिला उठा उसने अपनी तख्ती से गौरया की तख्ती पर प्रहार किया। गौरया ने झटके से अपनी तख्ती को बचा लिया, और बिल्लु की तख्ती दीवार से टकरायी और टूट गई।
माँ ने गौरया को डांट पिलाई और टूटी हुई तख्ती को जुड़वाकर गौरया के हाथ में थमा दिया तथा नई तख्ती बिल्लु को दिलवा दी।
गौरया ने सांय को अपने पिता से शिकायत की तो उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं बेटे कुछ दिन काम चला ले फिर नई दिलवा देंगे। उस दिन के बाद गौरया को लगा कि वह आज तक दूसरे दर्जे में ही यात्रा करती रही है।
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